छोटऽ आदमी से भी शिक्षा मिलै छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
संत केरऽ स्वभाव छेल्हें कि वू अपनऽ आबै वाला शिष्य आरो आगन्तुक केरऽ परीक्षा लै छेला । वू एन्हऽ एन्हऽ प्रश्न करै छेला, जे में उत्तर दै में थोड़ऽ अड़चन होय छेले । आरो फेरू संत ओकरऽ प्रश्न केरऽ समाधान करै छेला । एकरऽ पीछु संत केरऽ मतलब पर उपकार, आरऽ लोक हित केरऽ संदेश दै छेला । एक दिन संत अपनऽ ठिकानऽ से वन जाय रहलऽ छेला । रास्ता में एकरा चरवाहा मिललेन, जे बकरी चराय रहलऽ छेले । संत ओकरऽ परीक्षा लै वास्ते मनऽ में ठानलका । हुन्हीं ओकरा पास गेला आरो कहलका तोरऽ ऐत्ते बकरी में सब से छोटऽ बकरी हमरा दै दे ? चरवाहा कहलकै बिना मालिक से पुछे बकरी नांय देभोंऽ । संत कहलका ऐत्ते बकरी में एकरा कम होय जैतो ते मालिक के की पता चलते । लेकिन चरवाहा इस से मस नांय भेले । कहलकै मालिक ते नांय देखी रहलऽ छै । जे मालिक सोंसे दुनियाँ देखी रहलऽ हथ, बूते हमरा देखी रहलऽ छथ । हम्मे एकथ बकरी अपने के दै देबऽ । हमरऽ मालिक के पता नांय चलतै । बड़ऽ मालिक के पता चलिये जैते । फेरू हमरा ऊपर हुन्कऽ विश्वास केरऽ की हो तै ? अपने हमरा माफ करऽ । पाप नांय कर बाबऽ । संत प्रसन्न होय गेला । परीक्षा में चरवाहा सौ प्रतिशत खरऽ उतरलऽ । संत ओकरा लै के ओकरऽ मालिक पास पहुंचलऽ । संत मालिक से सब बात बतालका चरवाहा गुलाम छेलऽ । संत ने ओकरऽ मालिक से कहलका, तोहे भगवान केरऽ बन्दा के गुलाम बनालऽ छऽ, बहुत बोड़ऽ अपराध करलऽ छऽ । लाख कहला पर सौ बकरी में एक बकरी दैले तैयार नांय होलै । ऐत्ते ऐत्ते बोड़ऽ ईमानदार के प्रणाम कर नाचा हीवऽ संत केरऽ कहला पर मालिक चरवाहा के गुलामी से मुक्ति करी देलका, आरो हजारऽ असर्फी इनाम देलका । संत के लेलऽ ई बोड़ऽ दिन छेले । हुन्कऽ परोपकार केरऽ लक्ष्य पूरा होल्हें । एक छोटऽ आदमी से बोड़ऽ शिक्षा मिललऽ ।
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