सहनशील बड़ी (बोड़ा) बात | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
भगवान बुद्ध केरऽ पुर्व जन्म केरऽ केत्ते कथा छै । बौद्ध अनुयायि में प्रसिद्ध छथ । मानलऽ गेलऽ छै । भगवान बुद्ध एक योनि में भैंस छेला । जंगली होला केरऽ बावजूद भी शांत स्वभाव केरऽ छेला, रोज दिन अपना खास वास्ते हरा- हरा घास जमा करे छेला । आरो बाँकी समय में पानी केरऽ पास बैठना बहुत पसंद छेल्हें । शांत स्वभाव केरऽ कारण वनऽ केरऽ पशु पक्षी तंग करै छेल्हें । कोय पीठऽ पर बैठी जाय । कोय पुंछड़ी पकड़ी के घीची दै छेल्हें । तइयो भगवान बुद्ध बदला केरऽ भावना नांय राखै छेला । वनऽ में एकरा बन्दर ऐत्ते बदमाश छेले कि हुन्कऽ पीठ पर चढ़ी के कुदै छेले । कभी सींग पकड़ी के हिलाय दै छेले । कभी कभी ते ऐत्ते जोड़ऽ से पुछड़ी घीची दै छेल्हें कि बुद्ध कंहरै लागै छेला । केतने बेर ते बदमाश बन्दर आंखऽ में ओं गरी भोंकी दै छेल्हें । तइयो बुद्ध कुछ नांय करै छेला । स्वर्ग से देवता लोग ई सब तमाशा देखी रहलऽ छेला । एक दिन अपनऽ दूत के भेजलका, दूत बुद्ध से पुछलकै, हे शांत मूर्ति, बन्दर दंड केरऽ योग्य छै । अपने ऐकरऽ उपद्रव सहन करी रहलऽ छऽ कि तोहे एकरऽ हाथऽ में बिकी गेलऽ छऽ । एकरा से डराबै छऽ । अपने एकरा दंड काहे नांय दे रहलऽ छऽ । बुद्ध कहलका नांय हम्में एकरा से डरै छी, नांय हम्में एकरऽ हाथऽ में विकलऽ छी । हम्में चाहिये ते एक घुंसा में धरती पर पटकी के सींग से घायल करी दिये । एकरऽ उदंडता से परिचित छियै । हम्में ऐकरऽ अपराध क्षमा करै छिपै । असल में अपने से बलवान केरऽ अपराध सभे क्षमा करै छै । सहनशीलता ते ऐहे छि के कि अपने से निर्बल केरऽ अपराध, खुशी आरो शांत भाव से सहन करलऽ जाया ऐहे सहन शीलता आरो सच्चा धैर्य छिकै ।
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.