कौन देवता के कौन फूल चढ़ैलऽ जाय छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
हमरऽ परंपरा में धार्मिक आयोजन में फूलऽ केरऽ विशेष महत्व छै । देवता केरऽ पूजा विधि में कै तरह केरऽ- पत्ता के भी चढ़ाना बड़ी शुभ मानलऽ गेलऽ छै । धार्मिक अनुष्ठान, पूजा, आरती आदि काम बिना फूल केरऽ अधूरा ही मानलऽ जय छै । कुछ विशेष फूल देवता के चढ़ाना मना करलऽ गेलऽ छै । लेकिन शास्त्र में एन्हऽ भी फूल बतैलऽ गेलऽ छै, जेकरा चढ़ाबे से देव शक्ति केरऽ कृपा मिली जाय छै । बहुत शुभ, देवता केरऽ विशेष प्रिय होय छैन आरो सब तरह केरऽ सुख सौभाग्य बरसाबे छथिन । कौन फूल से कौन देवता केरऽ पूजा करिये, ई भी पूजा विधि केरऽ खास हिस्सा छै । फूल हमरऽ जीवन के रंग आरो सुगंध से भरी दै छै । ई हमरा लेलऽ हमरऽ भावना केरऽ प्रतीक छिके । ऐहे से हम्में पूजा करते समय फूल अर्पित करे छिये । लेकिन पूजा पद्धति में कौन फूल कौन देवता के वर्जित छै आरो कौन फूल प्रिय छै । हमेशा हम्में नांय जाने ले वारे छिये ।
गणपति- भगवान गणपति के तुलसी दल छोड़ी के सब तरह केरऽ फूल चढ़ैलऽ जाय छै । ‘‘न तुल्ट ्या गणाधिपम’’ तुलसी से गणपति केरऽ सूजा कभी नांय कर गणेशजी के पारंपरिक रूप से दुभी (दुवी) चढ़ैलऽ जाय छै । मानलऽ जाय छै कि हुन्का दुभी (दुवी) प्रिय छै । दुभी केरऽ ऊपरी हिस्सा पर तीन या पाँच पत्ता होवे ते बहुत शुभ मानलऽ जाय छै । गणपति के लाल रंग प्रिय छैन । ऐहे से हुन्का लाल रंग केरऽ गुलाब भीचढ़ैल जाय छै ।
शिवजी- अवधूत शिवजी के धतूरा केरऽ फूल, हरसिंगार, नागेसर केरऽ सफेद फूल, सुखलऽ कमलगट्टा, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि केरऽ फूल प्रिय छैन । जेभे से सबसे ज्यादा प्रिय छैन धतूरा केरऽ फूल एकरऽ अलावे बेलपत्र आरो समीपत्र भी पसंद छैन । शिवजी के सेमल, कदम्ब, अनार, सिरीष, माधवी, केवड़ा, मालती, जूही आरो कपास केरऽ फूल नांय चढ़ैलऽ जाय छै ।
सूर्य- सूर्य केरऽ उपासना कुटज केरऽ फूल से करलऽ गेलऽ छै । एकरऽ अलावा आक, कनेर, कमल, चंपा, पलाश, अशोक, बेला, मालती आदि केरऽ फूल भी सूर्य के प्रिय छैन । भविष्य पुराणऽ में कहलऽ गेलऽ छै कि जों एक आक केरऽ फूल भगवान सूर्य पर चढ़ैलऽ जाय ते ओकरा सोना केरऽ दस असर्फि चढ़ाबे केरऽ फल मिले छै । सूर्य के भी गणपति के तरह लाल फूल पसंद छैन ।
कृष्ण- कृष्ण अपनऽ प्रिय फूल केरऽ वर्णन करते होलऽ महाभारत में युधिष्ठिर से कहलऽ हथ । हमरा कुमुद, करवरी, चणक, मालती, नंदिक, पलाश, आरो वनमाला केरऽ फूल प्रिय छै । भगवान श्री कृष्ण केसर केरऽ तिलक या पीला चन्दन केरऽ तिलक करे से आरो पीला फूल चढ़ाबे से अति प्रसन्न होय छथिन ।
विष्णुजी- भगवान विष्णु के कमल, मोलसिरी, जूही, कदंब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, बैजंती केरऽ फूल विशेष प्रिय छैना । हिन्का पीला फूल बहुत पसंद छैन । विष्णु भगवान के तुलीस दल चढ़ाबे से अति प्रसन्न होय छथिन । कार्तिक महीना में भगवान नारायण के केतकी केरऽ फूलऽ से पूजा करे से विशेष रूप से प्रसन्न होय छथिन । लेकिन विष्णु जी पर आक, धतूरा, शिरीष, सहजन, समेल, कचनार, आरो गुलर आदि केरऽ फूल नांय चढ़ाना चाहिवऽ । विष्णु पर अक्षत भी नांय चढ़ैलऽ जाय छै ।
बजरंगबली- बजरंगबली के लाल या पीला रंग केरऽ फूल विशेष रूपऽ से अर्पित करना चाहिव । फूल में अड़हुल, गुलाब, कमल, गेंदा आदि केरऽ विशेष महत्व छै । हनुमान जी के रोज सब फूल आरो केसर के साथ लाल चन्दन घिसी के तिलक करना शुभ कानलऽ जाय छै ।
शनि- शनि देव के नीला लाजवंती केरऽ फूल चढ़ैलऽ जाय छै । एकरऽ अलावे कोय भी नीला फूल या गाढ़ऽ रंग केरऽ फूल शनि देव के चढ़ाना शुभ मानलऽ गेलऽ छै । अपनऽ आराध्य देव के हुन्कऽ पसंद केरऽ फूल अर्पित करऽ । आरो सौभाग्य केरऽ प्राप्ति करऽ ।
लक्ष्मी जी- माता लक्ष्मी सुख, समृद्धि, धन आरो सौभाग्य केरऽ देवी छथिन । माता लक्ष्मी केरऽ सबसे प्रिय फूल कमल छैन । कमल जल से उत्पन्न होय छै आरो माता लक्ष्मी केरऽ उत्पत्ति भी सागर से ही होलऽ छै । कमल केर फूल हुन्कऽ आसन भी छै । ऐसे से देवी के कमल केरऽ फूल अर्पित करना शुभ कानलऽ जाय छै । लक्ष्मी के रोज दिन गुलाब केरऽ फूल भी अर्पित करलऽ जाय छै । भगवान विष्णु केरऽ अर्धांगिनी होय के कारण हिन्का पीला सुगंधित फूल भी चढ़ैलऽ जाय छै ।
पार्वती- गौरी या पार्वती के ई सब फूल प्रिय छैन, जे सब फूल भगवान शंकर के चढ़ैलऽ जाय छै । एकरऽ साथ हुन्कऽ पूजा बेला, सफेद कमल, पलाश आरो चम्पा केर, फूल से भी करलऽ जाय छै ।
दुर्गा- माता दुर्गा के लाल रंग केरऽ फूल विशेष प्रिय छैन । एकरा में गुलाव आरो अड़हुल खासतौर पर । नवरात्री आरो शुक्रवार के माता के लाल गुलाब या लाल अड़हुल फूल केरऽ माला चढ़ाना शुभ मानलऽ जाय छै । दुर्गा के बेला, अशोक, माधवी, केवड़ा अमलतास केरऽ फूल भी चढ़ैलऽ जाय छै । लेकिन दुर्गा के दुभी (दुवी), तुलसी दल, आंवला आरो तमाल, केरऽ नांय चढ़ाना चाहीवऽ । दुर्गा के आक आरो मदार केरऽ फूल भी नांय चढ़ैलऽ जाय छै ।
सरस्वती- विद्या केरऽ देवी माता सरस्वती के प्रसन्न करे के लेलऽ सफेद या पीला रंग केरऽ फूल चढ़ैल जाय छै । सफेद गुलाब, सफेद कनेर या फेरू पीला गेंदा केरऽ फूल से भी माता सरस्वती प्रसन्न होय छथिन ।
काली- देवी के नीला अपराजित केरऽ फूल चढ़ाबै केरऽ विधान छै । बंगाल में दीपावली में होय वाला काली पूजा में अपराजिता केरऽ फूल चढ़ाना जरूरी होय छै ।
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