छोटऽ छोटऽ बात भी बड़ी समझ केरऽ होय छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
एक महिला संत छेली, हुन्हीं इराक शहर केरऽ रहै वाली छेली । राबिया बसरी केरऽ नाम से मशहुर छेली । ओकरऽ रोज केरऽ नियम छेले, कबूतर के दाना खिलाना । वू शहर केरऽ कोय बगीचा में झोला भरी दाना लै के जाय छेली, कबूतरऽ के दाना खिलाबै छेली । बाँकी समय में अपनऽ पढ़ाई करै छेली । अपनऽ समय अध्यात्म चर्चा में गुजारै छेली । एक दिन बगीचा में कबूतरऽ के दाना खिलाबै छेली, वहाँ चार पाँच लड़का सुन्दर नौजवान टहलते होलऽ बगीचा में पहुँचलऽ । राबिया के देखलकऽ मनऽ में बदमाशी सुझलै, ओकरा पास खड़ा होय गेलऽ कुछ देरी केरऽ बाद राबिया केरऽ नजर लड़का पर पड़लै, पहले ते मुस्कुरैलकी, बाद में हहाय के हँसे लागली । लड़का सब हँसी केरऽ अर्थ समझै ले नांय पारल कै । एकठो लड़का हँसी केरऽ कारण पुछलकै । लड़की कहलकै हम्में ई खातिर हंसलिये कि जे धरती पर तोरा सनी जेन्हऽ जवान छऽ, बू धरती केत्ते सौभाग्यशाली छै, हमरऽ हँसी असर में भगवान के प्रति आभार छै । लड़का सनी वहीं खड़ा रहलै । लड़की कबूतर के दाना खिलाबै लागली । थोड़ऽ देरी के बाद लड़की कान्दे लागली, हँसी तकते लड़का सनी के कोय अड़चन नांय छेले । लड़की केरऽ कान्दबऽ देखी के अचरजऽ में पड़ी गेले । एकरा लड़का हिम्मत करी के पुछलकै, हँसी केरऽ कारण ते बतैल्हऽ लेकिन कान्दे केरऽ कारण नांय समझे ले पार लियै । तबे लड़की कहलकी पहले हम्में हंसलऽ छे लियै ई देखी के कि ई धरती पर केर्त्त लड़का छे । अबे हम्में ई देखी के कान्हे छी कि लड़का सब सेवा भाव से दूर छै । तू अपनऽ शक्ति सदुपयोग सेवा भाव केरऽ कामऽ में लगैतले । लड़का सनी के सेवा भाव से दूर पाबै छिपै । ऐहे सोची के आँखी से लोर चुवै लागलऽ । लड़का सनी के कहलकी बोड़ऽ बोड़ऽ काम नांय करै ले पारै छऽ, ते व्यासल के पानी पिदाबऽ चिडि़या के दाना खिलाबऽ आरो मिठऽ बोली के आदमी के संतोष दहऽ । बस इतने प्रार्थना तोरा सनी से करै छिहोंऽ ।
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