संतोष में सच्चा सुख छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
एक नगर में धनपत नाम केरऽ आदमी रहै छेले । ओकरऽ बेटा केरऽ नाम छेले कुमार । एक दिन सेठ केरऽ द्वारी पर नट अपनऽ कला देखाबै ले ऐले । तमाशा देखाबै में नट केरऽ बेटी भी छेले । देखे में बहुत सुन्दर छेले । कुमार नट केरऽ बेटी के देखी के रि झि गेला । ओकरा संगे बीहा करै केरऽ जिदकरी देलका । सेठ नट से अपनऽ बेटी केरऽ बीहा कुमार करै केरऽ प्रस्ताव राखलका । नट राजी नांय होले, बहुत कहला सुनला पर एकटा शर्त राखलकै । जों कुमार हमरा साथ रही के नट कला सीखता आरो कोय राजा हुन्कऽ कला से प्रसन्न होय के इनाम देता, वेहे दिन अपनऽ बेटी संग बीहा करी देबै । कुमार तुरंत राजी होय गेला । अपनऽ परिवार से आज्ञा लैके नटकला सीखे ले चलऽ गेला । कठीन परिश्रम कर्री के हुन्हीं नटकला में सफल होय गेला । एक दिन कुमार नट कला देखाबै ले बनारस राजा केरऽ सामने गेला । नट कला देखी के राजा बहुत खुश होला । कुमार से कहलका जे इच्छा होय माँगऽ । वू समय कुमार ऊँचऽ महल में बैठलऽ छेला । जहाँ एक मुनि भिक्षा के लेलऽ खड़ा छेला । कुमार देखलका राज महल से एक सुन्दर जनानी भीख लैके आली । लेकिन मुनि बहुत थोड़ऽ भीख लेलका । आरो मुस्कुरैते होलऽ चलऽ गेला । वेहे घड़ी राजा केरऽ आवाज सुनैले बोलऽ नट कुमार की इच्छा छै । मुनि के देखी के कुमार करेऽ मोन बदली गेले । मुनि केए सामने ऐत्ते भीख ऐला मुनि थोड़ सन लै के हँसते चलऽ गेला । कुमार के ज्ञान भेल्हें, अपनऽ धन, दौलत, इज्जत छोड़ी के नट कुमारी केरऽ क्षण भंगुर सुन्दरता में पड़ी के ऐत्ते बोड़ऽ पतित होय गेले । सेठ से नट कुमार कहाय लागलां । कुमार राजा से क्षमा माँगलका इनाम लै से मना करी देलका । आरो मुनि से ज्ञान लै के चलऽ गेला । हम्में अपनऽ शक्ति आरो साहस भूली के क्षण भंगुर पर आकर्षित होय गेलां सब ई ध्यान रखै कि हमरऽ गरिमा ते भंग नांय होय रहलऽ छै ।
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