अपन विचार, दोसरा के लेलऽ शिक्षा | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
कुछ महान लो गअपनऽ सही उपयोग करी के दुनिया के एक बाड़ेऽ समाचार दै छथीन । हुन्कऽ साधारण काम व्यवहार आबे वाला पीढ़ी के लेलऽ स्मरणीय हो जाय छै । बहुत समय पहिले केए बात छिके, एक बेर महात्मा गाँधी भाषण लेबे ले इंग्लैंड गेलऽ छेलात । हुन्का वहाँ अध्यक्ष बनी के भाषण दे ले छल्हें । एकरा से पहिले वहाँ कुछ लोगऽ के खिलाबे-पिलाबे केरऽ इन्तजाम छेले । गाँधी जी सब करेऽ खैलऽ पिलऽ थरिया- गिलास धोवे लागलात । आए व्यवस्था केर एक हिस्सा काम अपनऽ हाथऽ में लै लेलका । लोगे सनी वहाँ गाँधी जी के गंदा साफ करते देखलके ते सोचे लागले कोय नौकर-तौकर होते । लेकिन सब बात सुनला के बाद भी गाँधी जी अपनऽ काम में लगाये के करते रही गेलात । थोड़ऽ देरी के बाद जूठऽ धोवेवाला आदमी के मंच पर अध्यक्ष बनी के भाषण देते सुनलके सभी अचरजऽ में पड़ गेले । अंग्रेज सब भी हुन्कऽ स्वभाव पर चकित रही गेले । गाँधी जी अपनऽ जादू चलाय छै देलऽ छलथीन । गाँधी जी चेहरा केरऽ जो अपनऽ जादू चलाय देलऽ छलथीन । गाँधी जी चेहरा केरऽ जादू गर छेलथीन । बिल्कूल वहे रंऽ, जेरंऽ भगवान श्री कृष्णा छेलथीन युधिष्ठिर जबे यज्ञ करलऽ छेला, ऊ यज्ञ में श्री कृष्णा भी अतिथि के जूठऽ मांजलऽ छेलात । आरो सभे केरऽ सेवा भी करलऽ छेलात । काम खतम भेला पर पूजा व्यक्ति के पूजा करै केरऽ समय ऐले ते पाण्डव ने श्रीकृष्ण के आसन पर बैठाय के पूजा करलऽ छेला । श्रीकृष्णा आरऽ गाँधी जी, जाने छेला कि ई सबसे जोड़ऽ काम नांय छिकऽ कि हम्में करी रहलऽ छीये । सब से बोड़ऽ काम ऐही छिके कि कैसे कारी रहलऽ छीये । सेवा ई बातऽ केरऽ संदेश दे रहलऽ छै कि कोय काम बाड़ेऽ या छोड़ऽ नांय होय छै । हम्में की नीयत से आरो की भाव से ओकरा करी रहलऽ छिये ऐहे महत्व पूर्ण होय छै ।
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