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Friday, July 12, 2019

दिल केरऽ बात | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

दिल केरऽ बात | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

एक बार गुरू जी अपनऽ चेला केरऽ साथ बैठलऽ छेलात । अचानक हन्हीं सब चेला से एक सवाल पुछलका, बतावें जबे दु आदमी एक दोसरा पर गुस्सा करै, छै ते जोर- जोर से चिल्लावै काहे छै ? चेला कुछ देरी सोचलके, आरो उत्तर देलके, हम्में अपनऽ शान्ति खतम चुकलऽ रहै छिये । ऐसे से चिल्लाबै लागे छिये । गुरू जी मुस्कुराते होलऽ कहलका, दोनों एक दोसरा केरऽ नजदीक रहे छै । धीरे- धीरे भी बात होय सके छै । फेरू वू चिल्लावबै काहे छै, चेला केरऽ जवाब से गुरू जी संतुष्ट नांय छेला । हुन्हीं उत्तर देना शुरू करलका, जबे दु लोग एक दोसरा से नाराज होय छै ते ओकरऽ दिलऽ में दूरी बहुत बढ़ी जाय छै । जबे दुरी बढ़ी जाय छै ते आवाज के पहुंचावै के लेलऽ ओकरा तेज होना जरूरी छै । दूरी जेते ज्यादा होते, ओतने तेज चिल्लाबै से पड़ते । दिल केरऽ दूरी ही गुस्सैलऽ लोग के चिल्लावै पर लाचार करी दै छै । गुरूजी आगे बोलला, जबे दु लोगऽ में प्रेम होय छै ते एक दोसरा बड़ी आराम से आरो धीरे- धीरे बात करै छै । सेम दिलऽ के नजदीक लाबे छै ।


टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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