शिव केरऽ महिमा | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
श्रद्धा, भक्ति आरो उल्लास केरऽ महीना सावन शुरू होय गेलऽ छै । सावन महीना में शिव केरऽ विशेष महत्व छै । सावन केरऽ महीना में साक्षात शिव संग जोड़े वाला महीना छिके । पूरा प्रकृति शिवमय होय जाय छै । सावन में झिमिर- झिमिर पानी, हवा के संग झुमते- नाचते करिया बादल, बिजले केरऽ चमक करजते बादल एन्हऽ लागे छै जेरऽ आरती होय रहलऽ छै । नगाड़ा बाजी रहलऽ छै । प्रकृति परमेश्वर केरऽ अराधना करी रहलऽ छै । शिव पूजा केरऽ अर्थ ही होय छै, प्रकृति आरो परमेश्वर केरऽ पूजा । अराधऽ सावन के महीना में जड़ चेतना सब शिवमय होय जाय छै । जबे समुद्र मंथन होलऽ छेले, ओकरा में से चौदह रत्न निकलऽ छेले, तेरह रत्न देवता आरो असुर बांटी लेलकऽ, लेकिन समुद्र मंथन में जहर भी निकललऽ छेले, जहर के जन हितकारी भोलेनाथ ही पीलऽ छेलाता जहर पीये से भगवान शंकर के गरमी होय ला गल्हेंन, हुन्कऽ गरमी शान्त करे वास्ते सब देवता जल से अभिषेक करे लागला । वू समय सावन महीन चली रहलऽ छेले । ऐसे से सावन महीना में भोले नाथ जल चढ़ाबे केरऽ महत्व छै । सब गाछ- बिरिछ, जीव जन्तु, पशु- पक्षी, नदी पहाड़, जेठ बैशाख केरऽ गरमी से व्याकुल तपलऽ धरती सावन के आबे से सब केरऽ आत्मा तृप्ति होय जाय छै । सावन महीना में लिंग पूजा केरऽ बहुत बोड़ऽ महात्तम छै । सावन महीना में भोलेनाथ केरऽ शिवा भिषेक, रूद्राभिषेक करलऽ जाय छै । ताकि भोलेनाथ केरऽ कृपा भक्तऽ पर सदा बनलऽ रहे । शिवलिंग परतीक छै विश्व ब्रह्मांड में जेकरऽ कण- कण में भगवान शिव केरऽ वास रहे छै । शिव पर शुद्ध जल, गंगा ज, दूध, दही, घी, मधुरस, भंग घोल, बेल पत्र, आक धतूरा केरऽ फूल विशेष रूपऽ से चढ़ैलऽ जाय छै । शिवलिंग में दही, दूध, घी, गंगाजल से अभिषेक के रै केरऽ अर्थ होय छै, हम्में अपनऽ धरती माय के परिपुष्ट करे छियै । हमरा सब के ऐहे संदेश मिले छै कि हम्में गाय, गंगा आरो प्रकृति के प्रति सदा समरपन भाव रखिये । साथऽ में हम्ममें अपनऽ मन में वेहे निर्मल द्रव्य जेन्हऽ पवित्र बने ये । शिव केरऽ अर्थ छै शिव केरऽ अर्थ छै कलापकारी, जे सदा अपनऽ भक्त के कल्याण ही करे छथिन । गांव शहर में ही नांय, देश में जगह- जगह भगवान भोले नाथ केरऽ मंदिर छै । दर्शन करे ले लोग जाय छै । काशी में विश्वनाथ, उज्जैन में महा कालेश्वर, गुजरात में सोमनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम् बिहार में वैद्यनाथ धाम छै । सावन में सब जगह भक्तऽ केरऽ भीड़ लगी जाय छै । गेरूवा वस्त्र में कामरिया जल लै के कीर्तन भजन करते मंदिर जाय छे । देखी के मन आनन्द होय छै ।
No comments:
Post a Comment
Note: Only a member of this blog may post a comment.