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Thursday, July 11, 2019

दर्पण साफ रहला पर देखाबै छै साफ चेहरा | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री | Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri

दर्पण साफ रहला पर देखाबै छै साफ चेहरा | अंगिका कहानी  | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story  | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 



जीवन के समझे बिना दुःख दूर नांय होय सके छै । जीवन में घटना केरऽ घटबऽ अलग बात छै । आरे दुःख केरऽ आना अलग मामला छै । घटना केरऽ पीयु प्रारब्ध आरऽ संयोग होय छै । लेकिन दुःख मन से जोड़लऽ होलऽ छै । एक सज्जन विमार होय के पड़लऽ छेला । डाक्टर हुन्का वजन कम करे केरऽ सलाह देलखें । जों हुन्कऽ वजन कम होय जाय ते हुन्हीं स्वस्थ होय जैता । ई बात हुन्का समझाय देलऽ गेल्हेन । हुन्हीं वजन भी कम करलका, जेतना होना चाहीवऽ ओतना नांय होल्हेंन । हमेशा दुखी रहे लागला कि हम्में ऐत्ते व्यायाम (एक्सर साईज) करे छी तइयो वजन नांय घटलऽ हुन्कऽ जीवन में एक दुर्घटना घटलऽ । हुन्कऽ जवान बेटा दुर्घटना में मरी गेल्हेंन । हुन्का पर दुःखऽ केरऽ पहाड़ टुटी पड़लऽ । आरो हुन्ही देखते देखते शरीर से झटकी गेला । बहुत दुबराय गेला । पहले दुबरऽ होय ले चाहे छेला, स्वस्थ होय ले । अबे दुबरऽ होय के अस्वस्थ होय गेला । बहुत परेशान रहे लागला । तबे हनकऽ गुरू समझैलका जो जीवन ढंग से समझ में आबी जय ते घटना के भोग में परिश्रम कम लागे छै । आरऽ पीड़ा भी कम होय छै । काहे कि घटना केरऽ दुःखऽ से कोय ताल्लुक नांय छै । जीवन केरऽ समग्र रूपऽ के समझऽ घुट घुट के जीये केरऽ अर्थ छिके घटना के सही रूपऽ में नांय लेलऽ जाय रहलऽ छै । जीवन हमेशा से पूरा होलऽ छै ? केकरे रहला से या नांय रहना से ऊ संषित होय छै, जीवन करेऽ कोय भी उद्देश्य हो, जीवन से बाहर नांय छै । ऐसे से शरीर केरऽ दुबरऽ पातरऽ होना, घटना से दुःखी सुखी हेाय केरऽ अर्थ संपूर्ण जीवन से जोड़लऽ नांय जाय सके छै । जे दर्पण साफ आरो शुद्ध छै ते चेहरा स्पष्ट देखाबै छै । ऐहे तरह से हृदय शुद्ध आरऽ निर्मल छै ते जीवन केरऽ स्वरूप स्पष्ट देखाबे लगते । हृदय पर कौन बातऽ केरऽ केतना लेलऽ जाय ई समझदारी आरऽ विवेक जेकरा में आय गेले वू बाड़ेऽ से बाड़े दुःख के भी आसानी से झेली लेते ।

टुटलौ कटोरी | अंगिका कहानी संग्रह | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
Tutlow Katori | Angika Story Collection | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri 

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