पिता केरऽ हाथ | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
एक पिता ने अपनऽ बेटा केरऽ अच्छ । परवरिश करलऽ छेला । भगवान कृपा से बेटा एक अच्छा इंसान आरऽ बड़ी कम्पनी केरऽ सी ई ओ बनी गेले । एक दिन पिता अपनऽ बेटा से मिले वास्ते ओकरऽ आफिस में पहुंचला, बेटा केरऽ शानदार दफ्रतर, नौकर चाकर सैकड़ऽ कर्मचारी ठाट- बाट देखी के पिता केरऽ सीना गर्व से फुली गल्हें । तबे हुन्हीं बेटा केरऽ कंधा पर हाथ धरी के एकटा सवाल पुछलका ई दुनियां में सबसे शक्तिशाली इंसान कौन छै ? बेटा ने जवाब देलके, हमरऽ अलावा आरो कौन होय सके छै पिता जी ? पिता केरऽ आशा छेल्हें कि बेटा हमरे शक्तिशाली बतैतऽ । हम्हीं ई मुकाम पर पहुँचै केरऽ लायक बनैलऽ छिये । लेकिन जवाब सुनी के पिता केरऽ आँख छलछलाय गेल्हें । वू चेम्बर से जाय लागला । तबे हुन्हीं एक बार फेरू मुड़ी के वेहे सवाल पुछलका बेटा ने ई बेर पिता जी के सबसे दुनियां केरऽ शक्तिशाली इंसान बतैलके, पिता जी अचरजऽ में पड़ी गेला, एकरऽ दिमाग कैसें बदली गेले । बेटा ने हंसते होलऽ कहलके, पिताजी वू समय तोरऽ हाथ हमरऽ कंधा पर छेले । आरो जे बेटा केरऽ कंधा पर पिता केरऽ हाथ हुवे वू बेटा ही सब से शक्तिशाली इंसान होय छै । बोलऽ पिताजी ? तोहें हमरा लायक बनैल्हऽ तबे ने आज हम्में ऐते बोड़ऽ दफ्रतर केरऽ मालिक छिये । पिता केरऽ आँख भरी गेल्हें, हुन्हीं अपनऽ बेटा के कसी के गला लगाय लेलका । आज हमरऽ माथध ऊँचऽ होय गेलऽ । रिश्ता नाता केरऽ ऐ हे रंऽ संतुलित बनलऽ रहे छै ।
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