धरम केरऽ अनुसार आचरण करै वाला सुखी रहै छै | अंगिका कहानी | डॉ. (श्रीमती) वाञ्छा भट्ट शास्त्री
| Angika Story | Dr. (Smt.) Vanchha Bhatta Shastri
धर्म आरो आद्यात्म केरऽ सब से सही शिक्षा आदमी के परिवारऽ में ही मिले छै । जों परिवार केरऽ कुछ आदमी, एकरऽ सही अर्थ समझी लै ते अन्य आदमी पर भी एकरऽ प्रभाव पड़ै छै । संत महात्म आरो विद्वान केरऽ परिवार में धर्म केरऽ प्रयोग करे छै, ते पहिले योग्य सदस्य के चुनी ले छै । गौतम बुद्ध ने एक बेर ऐहे रंऽ करलऽ छेलाता । पर्वत प्रदेश में रहे छेला । वहाँ 122 लोगऽ केरऽ संघ में रहे छेला ऊ सब केरऽ काम छेले, जानवरऽ के मारी के खाय जाय छेले । मौका देखते लूट-पाट करी लै छेले । जबे प्रदेश केरऽ लोग शिकार पर निकली जाय, तबे बुद्ध ऊ सब केरऽ अनुपस्थिति में ओकरऽ जग्घऽ पर जाय कें जनानी सब के धर्म केरऽ शिक्षा दै छेला । बुद्ध असली के समझाबै छेला, कि जेकरा में दया भाव रहे छै, ऊ दोसरऽ कोय प्राणी के हत्या नांय करी सके छै । धर्म अमर छै आरो जे धर्मनुसार आचरण करे छै, ओकरा जीवन में बिपत्ति केरऽ सामना नांय करे लें पड़े छै । भलऽ लोगऽ केर लक्षण होय छै कि ऊ नम्र होय छै, क्रोध नांय करे छै । आरऽ हमेशा ऐहे प्रयास करे छै कि हम्में केकरऽ कष्ट नांय पहुँचैरे । बुद्ध केरऽ प्रवचन से प्रभावित होय के जनानी सब बुद्ध से दीक्षा लै लेलकी, ई बात जबे ओकरऽ मरदाना सब पता चलले, ते पहले बुद्ध पर बहुत गुस होले । जनानी सब रोकलके, आरो अपनऽ पारिवारिक जीवन में बदलाव केरऽ जानकारी देलके । अपनऽ जनानी केरऽ दबाव में आय के सब मरदाना बुद्ध केरऽ शरण में गेले । बुद्ध ने सब के समझै नका कि जे सबके प्रति दयालु रहे छै, ओकरा जीवन में बहुत लाभ मिले छै । शरीर स्वस्थ रहे छै, चित्त एकाग्र होय छै, देवता ओकरऽ रक्षा करे छथीन । सब केरऽ प्रिय होय जाय छै । हमेशा सफल रहे छै । आरेा मरला पर स्वर्ग जाय छै । मरदाना सब बुद्ध केरऽ बातऽ से प्रभावित होले आरो सही रास्ता पर चलै केरऽ निश्चय करलके । धर्म भी समझदारी से ही जीवन में प्रवेश करे छै । सीधे केकरो जीवन में धर्म नांय उतारलऽ जाय सके छै ।
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