गरो ङुबौन | अंगिका कहानी | डॉ. रामनंदन विकल
Garow Dubown | Angika Kahani | Dr. Ramnandan Vikal
सांझ को बेरा झिटपुटाय गेलो छैलै ।गर्मी बहुते छैलै ते हम्में आपनो क्वाटर के बाहर मैदानी में टहली रहलो छैलियै, देखै छी कि मोटरसाइकिल पर हमरो नानी केरो नैहरा केरो एक आदमी,जिनका हम्मं मामूं कहै छेलियै,आबी के उतरला । हम्मं जातीं गोङ छुवी के प्रणाम करलियै आरो पुछलियै- हेते सांझ में मामूं कहाँ से आबी रहलो छो?मोटरसाइकिल बाला हमरो होलसेल केरो आदमीं छेलै-कहलकै 'सर-ये बस केईतजार में लाईन होटल में थे,तो आपका परिचय दिया,तो हमलोग इन्हें के आप के पास ले आये ।" है कही कें वं चल्लो गेलै ।
मांमू के लै के हम्मं क्वाटर आबी गेलां ।
हुनी अस-बस करी रहलो छैलै ।हम्मं पुछलियै की होलो मांमू तबियत ठीक छौं न? हुनी बोललै- ठीक छी भेगना ।
हमरा कटि टा आराम करैले दे तबे सबटा खिस्सा सुनैबो ।हम्मं कहलियै- चाय नास्ता करी ले तबे आराम करियो ।
हुनी कहलकै- हम्मं भेगना गरो ङुबौन खाय के आबी रहलो छियो तनि टा ससरैल दहीं एखनी एक्को घूंट पानियौं नै पियै पारबो ।गरो तक भरलो छौ।हमरा तनिटा घोलटैल दे, उठबौ तबे सबटा खिस्सा सुनैबो । है कही कें हुनी पलंगो पर लेटी गेलै , तुरंते खर्राटा शुरू ।
पत्नी पुछलकै हिनी के छिकै? हम्मं कहलि बतैलियै कि हिनी नानी के नैहरा केरो आदमीं छै।खेत बारी सभे देखै छै आरो यहे नाता सें हिनका मामूं
कहै छियै ।
उठला
हुनी लगभग 10 बजे राती में उठला
पानी पिवी के बथरूमो सें आबी के बैठला । हम्मं कहलियै
आबे खाना लगवाय छियौ मामूं ।हुनी बोललै की खाना छौ भेगना?हम्म कहलियै मछली आरो भात बनलो छौ ।हुनी कहलकै तबे ते चार कुटिया आरो थोङो टा भात खाय लेबौ ।
हम्मं पुछलियै की खिस्सा छेलै मामूं?हुनी कहना शुरू करलकै कि जानै छै हम्मं अभरी छोटकी बेटी
केरो बिहा करलियो ।हम्मं कहलियै हमरा ते मामूं पता नै ।
हुनी कहलकै हों है टा हमरो भूल ।हम्मं तोरा नेतो देबू नै
करलियो ते तोहं जानबे केना ।
हुनी कहना शुरू करलकै कि हम्में बिहा करला पर बेटी केरो घोर गोलियों कि देखियै कैन्हौ बात बिचार, रहन सहन, इज्जत बात , खान पान छै ।
जेन्हैंय गेलियो भेगना-एह तुरंते पितरो केरो बाल्टी में पानी आरो लोटा साथो में हवाई चप्पल ।आबे ते खुट्टी बाला खङाॅम केरो जुगे ने ।दामाद हाथों में गमछा लेले खङा
मोन ते हमरो हेथनांय में गदगद होय गेलो ।हाथ मुंह धोय के समधी साथें पलंगो पर बैठलियो ।ख़ूब मोटो मुलायम मसनद ।तब तांय रूह आफजा क्रेरो शर्बत लेलौं दमाद हाजिर ।हम्मं पीलें जाइयै आरो दमादे देलें जाय । तोन गिलास पोला केरो बाद कहलियै आबे नै । फरू समधी
पिलकात ।बैठी के दोनो समधी गप करै लागलियो ।
थोङके देरी में नास्ता हाजिर ।कचौङी आलू परबलो केरो भुजिया पकौड़ी पापङ दही अचार खैलं जाइयै आरो नै नैं करलौह पर दमादे देलें जाय । फरू चाय आबी गेलो ।
चाय पीवी के हम्मं एक नींन सुती गेलियो ।
लगभग एक बजे भीतरी ऐंगना दिसो सें खाय ले बुलाबा आयलो ।दोनों समधी अगले बगलो में बैठलियो ।भात दाल आलू परबलो केरो तरकारी मुर्गा धनियां पत्ता केरो चटनी ।बेटी परोसी परोसी के खिलाय रहलो छलो ।हम्मं नैं ने करलं जाइयै आरो वं देलें जाय।जबे कंठ तांय आबी गेलो तबे दोनों हाथो सं थरिया झांपी के कहलियै आबे नैं आबे गरो ङुबौन होय गेलै ।
आबे हमरा गाङी पकङना छेलो ।टाइम होय गेलै छेलै ।बिदाई लै के हम्मं चलै पर तैयार । दमादे हमरा मेन रोडो तक मोटरसाइकिल से छोङैले आबी गेलो ।
हमरा उतारी के हुनी ठाडौ।हम्मं कहलियै आपने मेहमान बाबू जा नहीं ।आपनें ते खाना भी नै खेलें छियै। बङी कहला पर हुनी चल्लो गेलै ।
करलियो
हम्मं बसो के बहुत देर तक इंतजार करलियो ।बस नैं ऐलो ते एक आदमी सें पुछलियै ।वं कहलकै 'अंतिम बस को गये आधा घंटा हो गया है ।'
आगे एक कीलो मीटर पर लाइन होटल है , आप को किसी ट्रक पर चढा देगा ।'
अस बस करलें होटल पहुॅचलयो ।
वहां एक टा खटिया खाली देखी के झट सेनां लेटी गेलियो। बगलो केरो खटिया पर ड्राइवर आरो खलासी
खाना खाय रहलो छेलौ ।बातो से पता लागलौ कि ट्रक पालाजोरी जाते ।तुरंते हमरा तोरो याद आबी गेलो कि तोहं पालाजोरी में सप्लाय ईस्पेकटर छं।हम्मं तोरो नाम लै के पुछलियै तेतुरंते कहलको 'साहब को तो हमलोग अच्छी तरह जानते हैं ।हम्मं कहलियै वो मेरा भेगना है और हमको वही जाना है । तुरंते कहलको हजूर हमलोग आपको साहब के यहाँ पहुॅचा देंगे । पहले चाय पी लीजिये ।
आबे हमरा मनों में ठहार होलौ ।नहियो मोन रहला पर
चाय घोटलियो आरो ट्रको पर बैठलियो ।
यहाँ आबी के वं सिनी मालिको के
हिसाब दै लागलो ।मालिकें हमरा बारे में पुछलकै ते कहलकै कि सप्लाय ईस्पेटर साहब के मामूं हैं उनके यहाँ पहुचाना है । होलसेलरें कहलकै पहले घर से बढ़िया चाय बनबाकर लाऔ इन्हें पिलाओ और साहब के यहाँ पहुॅचा दो ।बाद में हिसाब देना ।
वहूं चाय पीलौं आरो तोरा लिग आबी गेलां । पत्नी केबङा केरो ओटो सें हॅसी रहलो छेलै।
मामूं पुछलकै दुल्हैन हॅसी रहलो छौ नैं रे ।हम्मं कहलियै हों ।
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